उप मुख्यमंत्री रेणु देवी ने बाढ़ राहत कार्यों की समीक्षात्मक बैठक में खगड़िया जिला प्रशासन के कार्यों को सराहा..
उप मुख्यमंत्री रेणु देवी ने बाढ़ राहत कार्यों की समीक्षात्मक बैठक में खगड़िया जिला प्रशासन के कार्यों को सराहा..
खगड़िया/कोशी एक्सप्रेस/ आज 03.09.21 को उप मुख्यमंत्री-सह- मंत्री, आपदा प्रबंधन विभाग, बिहार रेणु देवी की अध्यक्षता में समाहरणालय सभाकक्ष में खगड़िया जिले में बाढ़ राहत कार्यों की समीक्षा की गई और आवश्यक निर्देश दिए गए।
जिलाधिकारी डॉ आलोक रंजन घोष ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से जिले में बाढ़ की वर्तमान स्थिति के साथ राहत एवं बचाव कार्यों की विस्तार से जानकारी देते हुए उपमुख्यमंत्री को अवगत कराया कि खगड़िया जिला अत्यंत बाढ़ प्रभावित जिला है एवं जिले से कुल पांच बड़ी नदियां गंगा, बूढ़ी गंडक, कोसी, बागमती और कमला गुजरती हैं। इन नदियों के जल अधिग्रहण क्षेत्र में भारी वर्षापात की स्थिति से जल स्तर बढ़ जाता है, जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है। जिले के सभी प्रखंड आंशिक या पूर्ण रूप से बाढ़ से प्रभावित रहते हैं। नदियों के अतिरिक्त वर्षा जल के निकासी नहीं होने के कारण कई क्षेत्र मानसून के दौरान जलमग्न हो जाते हैं और जलजमाव की स्थिति अक्टूबर तक बनी रहती है।
जिलाधिकारी ने बाढ़ से प्रभावित पंचायतों, प्रभावित गांवों, बाढ़ से प्रभावित वार्डों, बाढ़ से प्रभावित जनसंख्या, विस्थापित जनसंख्या, वितरित पॉलिथीन की संख्या, वितरित फूड पैकेटों की संख्या, संचालित नावों की संख्या, जीआर राशि के भुगतान हेतु चिन्हित परिवारों की संख्या, संचालित सामुदायिक किचन एवं इनसे लाभान्वित लोगों की संख्या, बाढ़ प्रभावित लोगों के चलाए जा रहे स्वास्थ्य शिविरों का विवरण, पशु चारा वितरण की स्थिति, बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में कोविड टीकाकरण की अद्यतन स्थिति के साथ जिले में बहने वाली प्रमुख नदियों बागमती, कोसी, बूढ़ी गंडक और गंगा के वर्तमान जलस्तर की स्थिति से माननीया उप मुख्यमंत्री सह मंत्री, आपदा प्रबंधन विभाग को अवगत कराया।
बाढ़ से पूर्ण या आंशिक प्रभावित सभी प्रखंड हुए हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है- परबत्ता (1 पंचायत पूर्ण प्रभावित, 9 पंचायत आंशिक प्रभावित), खगड़िया (4 पंचायत पूर्ण प्रभावित, 6 पंचायत आंशिक प्रभावित), चौथम (0 पंचायत पूर्ण प्रभावित, 9 पंचायत आंशिक प्रभावित), गोगरी (2 पंचायत पूर्ण प्रभावित, 7 पंचायत आंशिक प्रभावित) और अलौली (4 पंचायत पूर्ण प्रभावित, 2 पंचायत आंशिक प्रभावित), मानसी (0 पंचायत पूर्ण प्रभावित, 3 पंचायत आंशिक प्रभावित) और बेलदौर (0 पंचायत पूर्ण प्रभावित, 8 पंचायत आंशिक प्रभावित)। इस प्रकार जिले में कुल 11 पंचायत बाढ़ से पूर्ण प्रभावित एवं 44 पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित हुए हैं। अलौली में 68, खगड़िया में 15, मानसी में 4, चौथम में 18, बेलदौर में 10, गोगरी में 45 और परबत्ता में 18 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। बाढ़ प्रभावित पंचायतों में कुल 289 वार्ड प्रभावित हुए हैं। जिले में अब तक 20,279 पॉलिथीन सीट का वितरण और 9,487 फूड पैकेट का वितरण किया गया है। कुल 65 सामुदायिक रसोइयों और 3 राहत केंद्रों में 6,27,613 बाढ़ पीड़ित व्यक्ति भोजन कर लाभान्वित हुए हैं। बाढ़ से प्रभावित पशुओं की संख्या 23,158 है। 8 पशु चिकित्सा शिविरों माध्यम से 7,441 पशुओं की चिकित्सा की गई। 729 क्विंटल पशुचारा का वितरण किया जा चुका है। विभिन्न प्रखंडों में कुल 86 नौकाओं का संचालन किया जा रहा है। बाढ़ से कुल प्रभावित जनसंख्या 2,32,089 है। बाढ़ से विस्थापित जनसंख्या 3,765 है। कुल 39,593 परिवारों को जीआर राशि के भुगतान हेतु चयनित कर इनके खाते में भुगतान कर दिया गया है। बाढ़ से प्रभावित लोगों के इलाज हेतु 319 स्वास्थ्य शिविर लगाए गए थे, जिनमें 15,175 लोगों का उपचार किया गया। इंसास शिविरों में हैलोजन टेबलेट वायरस पैकेट एवं अन्य दवाओं का भी वितरण किया गया।
जिलाधिकारी ने अभिनव प्रयोग “नौका पर टीका” अभियान और बोट एंबुलेंस के बारे में भी उप मुख्यमंत्री को जानकारी देते हुए बताया कि जो बाढ़ग्रस्त आक्राम्य क्षेत्र है, वहां इनका उपयोग टीकाकरण एवं चलंत जल एंबुलेंस के रूप में किया जा रहा है।मधुरा ग्राम से नौका पर टीका अभियान शुरू किया गया था।
जिलाधिकारी ने बताया कि बाढ़ के कारण जिले में किसी की मृत्यु नहीं हुई है। जिले में कोविड की स्थिति भी सामान्य है। एसडीआरएफ की 1टीम जिले में उपस्थित है। बाढ़ से पूर्व भी अनेक स्थलों पर बाढ़ संघर्षात्मक कार्य कराया गया था। चार प्रमुख तटबंध ऊपर समय पूर्व कटाव निरोधी कार्य पूर्ण करा लिया गया था। इसका परिणाम यह सामने आया कि अभी तक कहीं तटबंध छतिग्रस्त नहीं हुआ है और ये सुरक्षित हैं। वर्तमान में बागमती नदी से कटाव ज्यादा हो रहा है। गृहक्षति के कुछ मामले सामने आए हैं। जनवरी से ही एसओपी के अनुसार बाढ़ की तैयारी प्रारंभ कर दी गई थी। जनप्रतिनिधियों के साथ भी बैठक करके उनका सुझाव प्राप्त किया गया था। पूर्व के बाढ़ में क्षतिग्रस्त सड़कों को मोटरेबल कराने की जानकारी भी दी गई। फसल क्षति के आंकलन का कार्य किया जा रहा है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में टीकाकरण अभियान हेतु बाढ़ से पूर्व से ही प्रचार प्रसार भी कराया जा रहा है।
बाढ़ राहत शिविरों और सामुदायिक रसोइयों में बच्चों को दूध भी उपलब्ध कराया गया। बाढ़ राहत शिविरों में लोगों को कोविड टीकाकरण एवं टेस्टिंग भी कराया गया। बाढ़ राहत कार्यों में और इसकी तैयारी के दौरान माननीय जनप्रतिनिधियों का भी सकारात्मक सहयोग मिला है। आपदा प्रबंधन विभाग से पर्याप्त सहयोग मिला है। साथ ही मीडिया से भी काफी सहयोग मिला है।
उप मुख्यमंत्री द्वारा बाढ़ राहत के कुशल प्रबंधन पर संतोष जताते हुए कहा कि सरकार की मंशा स्पष्ट है कि जनता को आपदा के समय में भी किसी प्रकार की परेशानी ना हो। संवेदनशीलता के साथ जनता की सेवा के लिए सरकार तत्पर है। उन्होंने यास तूफान और बाढ़ के चलते कृषि क्षति के आकलन का निर्देश दिया।
उप मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को धन्यवाद दिया कि उनके कुशल नेतृत्व में जिला प्रशासन की टीम ने अच्छा कार्य किया। उन्होंने कहा कि ससमय राहत पहुंचता है, तो अच्छा लगता है। बाढ़ के संबंध में अक्टूबर तक चौकस रहना है। जीआर राशि के वितरण में कोई गरीब परिवार न छूटे इसका ध्यान रखना है। उप मुख्यमंत्री के बाढ़ राहत समीक्षा बैठक में खगड़िया के माननीय विधायक श्री छत्रपति यादव एवं अलौली के माननीय विधायक श्री रामवृक्ष सदा भी उपस्थित थे। इन्होंने सीमित साधनों से बाढ़ राहत कार्य कुशलतापूर्वक चलाने में जिलाधिकारी के प्रयासों की सराहना की और बाढ़ कटाव से प्रभावित गांव में रक्षात्मक कार्य कराने की जरूरत बताई। दोबारा बाढ़ का पानी पहुंचने वाले गांव में फिर से राहत सामग्री ड्राई राशन के वितरण की मांग रखी। बाढ़ क्षेत्रों में सड़क को और ऊंचा बनाने की ओर माननीया उप मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित कराया। अलौली में भी पशुचारा के वितरण की मांग की। नौका पर टीका को सराहनीय कदम बताया।
बाढ़ राहत संबंधी इस समीक्षात्मक बैठक में जिलाधिकारी डॉक्टर आलोक रंजन घोष के अलावा उप विकास आयुक्त अभिलाषा शर्मा, अपर समाहर्ता शत्रुंजय कुमार मिश्रा, सिविल सर्जन डॉ अजय कुमार सिंह सहित सभी जिला स्तरीय पदाधिकारी, तकनीकी विभागों के जिला स्तरीय पदाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी और अंचल अधिकारी भी उपस्थित थे।
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