मा. CM, डिप्टी सीएम, संबंधित विभागीय मंत्री ध्यान दें- S.F.C. मुख्यालय पटना के महाप्रबंधक, सामान्य प्रशासन ने अकारण कार्य हित, प्रशासनिक दृष्टिकोण का हवाला देकर जिला प्रबंधकों को इधर से उधर किया… विभाग में मच गई अफरा तफरी…
मा. CM, डिप्टी सीएम, संबंधित विभागीय मंत्री ध्यान दें- S.F.C. मुख्यालय पटना के महाप्रबंधक, सामान्य प्रशासन ने अकारण कार्य हित, प्रशासनिक दृष्टिकोण का हवाला देकर जिला प्रबंधकों को इधर से उधर किया… विभाग में मच गई अफरा तफरी…
पटना / कोशी एक्सप्रेस/ विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त प्रामाणिक सूचना मीडिया टीम को मिलने के बाद विभागीय नियमों, कार्यों एवं एक साल में दो-दो बार एसएफसी के जिला प्रबंधकों का स्थानांतरण, पदस्थापन सहित मूल विभाग में कारण भेजने की साजिश उजागर हुई है। अब मामला पीआईएल के जरिए माननीय पटना उच्च न्यायालय तक मीडिया के सौजन्य से जाने की बाध्यता आ पड़ी है। जानकार सूत्रों का कहना है कि एसएफसी मुख्यालय में वर्षों से पदस्थापित तथा कथित लोगों जो विभिन्न पदों पर कुंडली मार कर बैठे हैं, स्थानांतरण नियमों से मुक्त हैं। सरकार और विभाग की कोई नीति ऐसे लोगों के लिए नहीं है लेकिन प्रदेश के जिलों में पदस्थापित जिला प्रबंधकों को लगातार Pick and Choose की असंवैधानिक नीति तहत एक साल में अनेक बार कार्य हित और प्रशासनिक कार्यों का हवाला देकर इधर से उधर कर दिया जाता रहा है। मालूम हो कि विगत दिनांक 28 अक्टूबर 2023 पत्रांक 7916 को बिहार स्टेट फूड एंड सिविल सप्लाईज कॉरपोरेशन लिमिटेड, खाद्य भवन, पटना, 80001 की एक चिट्ठी उप महाप्रबंधक, प्रशासन के सौजन्य से कार्यालय आदेश ज्ञापन 7880 दिनांक 27 अक्टूबर 2013 अंतर्गत जिला प्रबंधकों का स्थानांतरण पदस्थापन प्रशासनिक दृष्टिकोण से संशोधन के संदर्भ में जारी हुआ था। आश्चर्य की बात है कि स्थानांतरण, पदस्थापन और पैतृक विभाग में जिला प्रबंधकों को वापस भेजने की अवधि मात्र 11 महीने में पुनः कुल 26 जिला प्रबंधकों का स्थानांतरण, पदस्थापन व पैतृक विभाग भेजने का तुगलगी फरमान जारी कर दिया गया है। यह फरमान दिनांक 14. 9. 24 ज्ञापांक 748 9 अंतर्गत संबंधित जिला प्रबंधकों को वेबसाइट पर सूचित करते हुए दिनांक 23 सितंबर 24 तक अनुपालन का आदेश जारी किया है।
विदित हो कि एसएफसी मुख्यालय का प्रशासन मुट्ठी भर वर्षों से कुंडली मार कर पद पर बैठे अधिकारियों के कब्जे में है। रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के विरुद्ध अनेक बार विभिन्न स्तरों से विभाग को इस बात की लिखित सूचना दी हुई जाती रही है लेकिन विभाग की खामोशी रहस्यमय बनी रही है। इस संदर्भ में सिर्फ एक उदाहरण यह है कि वर्ष 2013 में समस्तीपुर के एक ट्रांसपोर्टर अभिकर्ता से लगभग एक करोड़ 40 लाख रुपए वसूलने का आदेश माननीय न्यायालय, लोकायुक्त एवं राजस्व विभाग ने जारी किया था, वरिष्ठ पत्रकार ने एसएफसी मुख्यालय का ध्यान आकृष्ट किया था लेकिन मामला संचिका निरस्त करने की सूचना आवेदक को मिली।। इतना ही नहीं एसएफसी के 46 पदाधिकारियों एवं कर्मियों के विरुद्ध गठित संचालित कारवाई सूची दिनांक 6. 12. 23 का आज तक निर्णायक स्थिति नहीं हो सकी है, क्यों ? माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासनकाल में एसएफसी मुख्यालय को अभयदान कौन दे रहा है ? यह सच है कि कानून के हाथ लंबे हैं। लेकिन कानून का हाथ इस विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार तक क्यों नहीं पहुंच पा रहा है। प्रेस एसोसिएशन ऑफ़ बिहार के अध्यक्ष सा वरिष्ठ पत्रकार आरएमपी मधुर ने कहा कि एसएफसी मुख्यालय में व्याप्त तमाम और अनियमितताओं के विरुद्ध माननीय पटना उच्च न्यायालय में पीआईएल (PIL) दर्ज कराकर राष्ट्रहित में गुहार लगाएंगे। 26 जिला प्रबंधकों का असमय और अकारण स्थानांतरित करना, पदस्थापन व पैतृक विभाग भेजने का गंभीर मामला अनेक सवालों को जन्म देता है। जारी…
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