KHAGARIA : कोरोना वायरस के विरुद्ध लड़ने वाले योद्धा डा. विवेकानंद व उनके अनुज ईं धर्मेन्द्र कुमार की सेवा जगजाहिर हुई… पीडि़त लोगों के बीच पहुंचकर तन मन धन से सेवा करना हमारे जीवन का उदेद्श्य है- डा. विवेकानंद
KHAGARIA : कोरोना वायरस के विरुद्ध लड़ने वाले योद्धा डा. विवेकानंद व उनके अनुज ईं धर्मेन्द्र कुमार की सेवा जगजाहिर हुई… पीडि़त लोगों के बीच पहुंचकर तन मन धन से सेवा करना हमारे जीवन का उदेद्श्य है- डा. विवेकानंद… खगडि़या/कोशी एक्सप्रेस/ इन दिनों कोरोना वायरस के विरुद्ध सरकार के सभी विभागों सहित जनप्रतिनिधियों एवं सामाजिक कार्यकत्ताओं द्वारा पूरे देश में पीडि़त दुखी लोगों की सहायता के लिए सराहनीय प्रयाय किये जा रहे हैं। इस संदर्भ में खगडि़या जिला का सेवा योगदान किसी भी जिला व क्षेत्र से कम नहीं है।
मालूम हो कि श्यामलाल चन्द्रशेखर पारामेडिकल काॅलेज के संस्थापक डा. विवेकानंद एवं उनके छोटे भाई ई. धर्मेन्द्र कुमार ने कोरोना वायरस संकट की घड़ी में दिनरात हर तरह से अपनी तथा अपने सहयोगियों के साथ जिले के विभिन्न क्षेत्रों में जा जाकर मास्क, सेनेटाईजर, साबुन के अलावे सूखा खाद्य सामग्रियों का वितरण करते नजर आ रहे हैं। इतना नही विगत दिनों मानसी प्रखंडन्तर्गत सैदपुर पंचायत में आग लगने से बवार्द हुए परिजनों के लिए डा. विवेकानंद ने डीस्को का छप्पर लेकर घटनास्थल पर 24 घंटे के अंदर पहुंचकर सहायता उपलब्ध कराने का आदर्श स्थापित किया, ऐसे अनेक विपदाओं में इन्होंने निःस्वार्थ भावना से पीडि़त लोगों को मदद पहुंचाने का कीर्तिमान स्थापित किया है। यह सुखद अत्यंत प्रशंसनीय बात है कि जिले में चाहे बाढ़ की त्रासदी हो, अगलगी हो, बीमारी हो या कहीं किसी स्थान पर भूखमरी की समस्या हो, डा. विवेकानंद और उनके अनुज ईं धर्मेन्द्र कुमार की पूरी टीम सहायता सामग्री के साथ पहुंचने का साहस करती रही है।
वहीं आज 10 अपै्रल 2020 को आवासबोर्ड स्थित राजमाता माधुरी टीचर्स काॅलेज परिसर में ई. धर्मेंन्द्र कुमार द्वारा सूखा खाद्यान सामग्री का वितरण सोशल डिसटेंसिंग का पालन करते हुए किया जा रहा है जिससे लोगों को अत्यंत राहत मिल रही है।
डा. विवेकानंद ने पूछे जाने पर प्रेस को बताया कि उनके जीवन में बहुत दुःख और संघर्ष का दौर रहा है, लेकिन अपने शिक्षक माता स्व. माधुरी देवी एवं शिक्षक पिता श्री चन्द्रशेखर यादव की परवरिश से उन्हें अमूल्य शिक्षा मिली है कि जीवन में धन, यश और पद का महत्त्व सिर्फ दुखी लोगों की सहायता करने में है।
नोट- किसी भी प्रसारित समाचार की जिम्मेवारी प्रेस की नहीं होगी-संपादक