जुवां पर सिर्फ़ “हरि” दो अक्षर शब्द बसाओ, गंगा, काशी तीर्थ करने की आवश्यकता नहीं – आचार्य मृदुल कांत शास्त्री (वृंदावन)

जुवां पर सिर्फ़ “हरि” दो अक्षर शब्द बसाओ, गंगा, काशी तीर्थ करने की आवश्यकता नहीं – आचार्य मृदुल कांत शास्त्री (वृंदावन)

@ANA/Indu Prabha…खगड़िया (बिहार)/कोशी एक्सप्रेस/ श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन का प्रसंग श्री परिमल उपकयां और श्री नरसिंह अवतार पर आधारित प्रवचन का व्याख्यान श्रीधाम वृंदावन (उत्तर प्रदेश) से पधारे अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक आचार्य श्री मृदुल कांत शास्त्री महाराज के मुखारविंद से सुनकर हजारों नर नारियों ने भक्ति भाव की गंगोत्री में जमकर स्नान किया। महाराज मृदुल कांत शास्त्री जी के संग आए हुए वाद्य यंत्र कलाकारों द्वारा प्रस्तुत भजन और संकीर्तन का भी श्रोताओं ने जमकर लुफ्त उठाया। रंग-बिरंगे पोशाकों में सजी-धजी महिलाएं भक्ति भाव में इतनी डूब गई कि म्यूजिक सहित भजन और संकीर्तन के सुनते ही झूम झूम उठे। पूरा पंडाल और इसके चारों ओर का वातावरण भक्तिमय हो गया। आचार्य मृदुल कांत शास्त्री ने कहा भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया था। इनका प्राकट्य खम्बे से गोधूली वेला के समय हुआ था।भगवान नृसिंह, श्रीहरि विष्णु के उग्र और शक्तिशाली अवतार माने जाते हैं। इनकी उपासना करने से हर प्रकार के संकट और दुर्घटना से रक्षा होती है। भागवत कथा स्थल के विशाल पंडाल में भक्तजनों के बैठने की उत्तम व्यवस्था के साथ-साथ गरमा गरम चाय और बिस्कुट की भी निःशुल्क व्यवस्था आयोजक गोयल परिवार द्वारा की गई। इसी स्थल पर कथा श्रवण करने आने वाले तमाम भक्तजनों के लिए निःशुल्क जूते चप्पल को भी रखने की व्यवस्था की गई। आयोजक विशाल गोयल और विकास गोयल ने अपने माता-पिता के 50वीं शादी की सालगिरह के अवसर पर भागवत कथा का आयोजन कर रहे हैं जो विगत 18 दिसंबर से आगामी 24 दिसंबर तक चलेगी। धीरे-धीरे भक्तों की संख्या बढ़ रही है। दोपहर 2:30 बजे से लेकर संध्या 6:00 बजे तक भागवत कथा का प्रवचन लोग सुने। संध्या आरती के साथ भागवत कथा का समापन हुआ ।तदुपरांत तमाम भक्तजनों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया। भक्तजनों की संख्या में धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है आज श्री नरसिंह अवतार और श्री अजामिल उपाख्यान प्रासंगिक कथा का विस्तार पूर्वक वर्णन आचार्य मृदुल कांत शास्त्री जी ने किया जिससे लोग काफी लाभान्वित हुए। आगे उन्होंने कहा जो लोग इस संसारिक बंधन से मुक्त होना चाहते हैं उनके लिए भगवान के नाम से बढ़कर और कोई साधन नहीं है। भगवान का केवल नाम राम, कृष्ण, नारायण अंतः की शुद्धि के लिए पर्याप्त है। आचार्य मृदुल कांत शास्त्री ने कहा जिसकी जुवां पर “हरि” यह दो अक्षर बसते हैं, उसे गंगा, गया, सेतबंध, काशी, पुष्कर आदि तीर्थो की कोई आवश्यकता नहीं। उनकी यात्रा, स्नान आदि का फल भगवान्न नाम में ही मिल जाता है। भागवत कथा श्रवण करने वालों में प्रमुख थे बिहारी पॉवर ऑफ इंडिया के चेयरमैन डॉ अरविन्द वर्मा, स्वामी अशोक खंडेलिया, प्रमोद केडिया, विष्णु बजाज, इंदल बजाज, प्रशांत खंडेलिया, सुजीत बजाज, रमेश खंडेलिया, विनोद तुलस्यान, अशोक शर्मा, पवन अग्रवाल, पवन दहलान तथा रघु केडिया आदि।

 

नोटं- प्रसारित समाचार की जिम्मेवारी प्रेस की नहीं है तथा विज्ञापनों की प्रामाणिकता से प्रेस का कोई सबंध नहीं है – संपादक

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