बिहार :  चारा घोटाला से भी बड़े घोटोले की पड़ताल.. भारतीय खाद्य निगम, राज्य खाद्य निगम व अभिकत्ताओं के कालेकारनामों की परत-दरपरत घोटाले का पर्दाफाश… पूछती है गरीब जनता- जीरो से करोड़पति बननेवालों पर सरकार की नजर क्यों नहीं ? आखिर कब तक गरीबों का पेट काटकर अकूत सम्पत्ति अर्जित करनेवाले लोग होते रहेंगे मालामाल ?

बिहार :  चारा घोटाला से भी बड़े घोटोले की पड़ताल.. भारतीय खाद्य निगम, राज्य खाद्य निगम व अभिकत्ताओं के कालेकारनामों की परत-दरपरत घोटाले का पर्दाफाश… पूछती है गरीब जनता- जीरो से करोड़पति बननेवालों पर सरकार की नजर क्यों नहीं ? आखिर कब तक गरीबों का पेट काटकर अकूत सम्पत्ति अर्जित करनेवाले लोग होते रहेंगे मालामाल ?खगड़िया-कोशी एक्सप्रेस विशेष टीम की रिपोर्ट :  प्रदेश में एक तरफ विकास के नाम पर पीड़ित जनता को सब्जबाग दिखाने का प्रयोजन किया जाता है, तो दूसरी ओर सफेदपोश तथाकथित दलालों की पहुँच सरकार के उच्चाधिकारियों तक बनी हुई रहती है।
मालूम हो कि हमारे मुख्यमंत्री चिल्ला-चिल्लाकर जीरो परसेण्ट भ्रष्टाचार नीति की दुहाई देते देते थक चुके हैं, लेकिन उनके नाक नीचे अनेक सनसनीखेज घोटाले को लगातार अंजाम दिया जाता रहा है, जो आजतक जारी है।
कोशी एक्सप्रेस टीम प्रामाणिक ब्यौरे सहित बिहार में खाद्यान्न घोटाले के कालेकारनामोंको उजागर कर राष्ट्रहित, प्रदेशहित में अपना दायित्व पूरा करने जा रही है.. जानकार लागों ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में सरकारी खाद्यान्न सामग्री भारतीय खाद्य निगम के गोदामों से राज्य खाद्य निगम के गोदामों तक ट्रकों में लाद कर पहुंचाने वाले तथाकथित अभिकर्ताओं द्वारा प्रतिमाह करोड़ों-अरबों रुपये की हेराफेरी और कालाबाजारी की जाती है। ऐसे सभी सफेदपोश अभिकर्ताओं को टेण्डर निकालकर लाइसेन्स जिला प्रशासन द्वारा प्रदान करने की परंपरा रही है। इस खेल में करोड़ों रुपये की रिश्वतखोरी तो जग जाहिर है, लेकिन कभी कभी ब्लैक लिस्टेट अभिकर्ताओं के मुन्शी, नौकरों तक को कानुनी लाइसेन्स देकर उपकृत किया जाता है। खाद्यान्न घोटाले की कहानी लालू यादव के चारा घोटाले से अधिक शर्मनाक है।
खाद्यान्न उठाव से लेकर एसएफसीआई गोदाम तक पहुंचने के दौराना सभी जिलों में भयंक कालाबाजारी होती है, फर्जीबाड़े के जरिये खाद्यान्न सरकारी गोदामों में जमातक करने का कागजी पोख्ता सबूत तैयार किया जाता है। इन कालेकारनामों का असर सभी जिलों के गरीब पीडीएस दूकानदारों पर सीधा असर डालता है।
राज्य सरकार द्वारा आय से अधिक सम्पति अर्जित करनेवाले छोटे-छोटे सरकारीकर्मियो को जेल भेज दी जा चुकी है, लेकिन खाद्यान्न घोटाले में लिप्तअभिकर्ताओंओं, सरकारी उच्चाधिकारियों के विरुद्ध करोड़ों रुपये आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करनेवाले का एक भी मामला सरकार के संज्ञान में नहीं पहुंचा, आखिर क्यों ? क्या नीचे से उपर तक लगातर मैनेज करने में घोटालेबाज सफल होते रहे है ?
अब देखना यह है कि माननीय नीतीश कुमारजी इस घोटाले की जांच-पड़ताल किस स्तर पर कैसे कराने में अपना कर्तब्य पूरा करते हैं ?
कोशी एक्सप्रेस टीम बिलकुल गैर-राजनीतिक पत्रकारिता में विश्वास करती है, हमें किसी राजनीतिक पार्टी या व्यक्ति से प्रतिशोध साधने की लालसा नहीं है, परंतु हम समाज को लूटनेवालों खाद्यान्न अभिकत्ताओं एवं संबंधित लोगों के विरुद्ध अन्ततः न्यायालय की शरण में जाकर पीड़ित प्रदेशवासियों को न्याय की गुहार अवश्य लगाने का साहस करेंगे। (जारी)

 

नोटं- प्रसारित समाचार से सहमत होना या ना होना हमारी जिम्मेवारी नहीं है- संपादक

 

 

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