खगड़िया-  पत्रकार सुमलेश की फर्जी गिरफ्तारी का मामला एसपी कार्यालय पहुंचा.. बेलदौर पत्रकार संघ के पत्रकारों ने निष्पक्ष जांच की गुहार लगाई…

खगड़िया-  पत्रकार सुमलेश की फर्जी गिरफ्तारी का मामला एसपी कार्यालय पहुंचा.. बेलदौर पत्रकार संघ के पत्रकारों ने निष्पक्ष जांच की मांग की गुहार लगाई…

खगड़िया/कोशी एक्सप्रेस/ प्राप्त सूचनानुसार मीडिया दर्शन (बेलदौर) के ब्यूरो चीफ सुमलेश कुमार ने पुलिस कप्तान अमितेश कुमार को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है।
मालूम हो कि उक्त आवेदन में पत्रकार सुमलेश (पिता सरतेज यादव) ने लिखा है कि है कि बेलदौर थाना कांड संख्या 352/20 दिनांक 30 दिसंबर 2020 को साजिश तहत आरोपी बनाकर उन्हें गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने एसपी अमितेश कुमार को आवेदन देकर बताया कि बेलदौर थाना कांड संख्या 352/ 20 अन्तर्गत उन्हें गैर कानुनी रुप में और झूठा आरोप बनाकर जेल भेज दिया गया था।
पीड़ित पत्रकार ने बताया कि उन्हें बेलदौर थाना द्वारा लगातार परेशान किया जाता रहा है क्योंकि उन्होंने संबंधित थाना और बेलदौर थानाक्षेत्र की तमाम अनियमितताओं को उजागर करने का साहस किया था। उन्हेांने बताया कि वे ं बिल्कुल निर्दोष हैं। इस मामले की गहन तहकीकात और विधि सम्मत कार्रवाई हेतु बेलदौर पत्रकार संघ ने पुलिस कप्तान से जांच करने की मांग की हैं।
पत्रकार सुमलेश ने बताया कि विगत 30 दिसंबर 2020 को पांच व्यक्ति बेला नौवाद गांव में एक जगह शराब पी रहे थे, उसी में से एक व्यक्ति ने उन्हें नववर्ष के अवसर पर विज्ञापन देने के लिए बुलाया था। उनलोगों को बुलाने पर वे वहां गए और उसी वक्त षड़यंत्र तहत बेलदौर के एसआई महानंद चैधरी ने उन्हें गिरफ्तार कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बेलदौर जांच पड़ताल करने के लिए ले गयेे। लेकिन वहां मौजूद शराब पीते लोगों को पुलिस गिरफ्तार नहीं की। पीएचसी में जांच पड़ताल के दौरान पीएचसी बेलदौर में 0 परसेंट भी शराब का महक नहीं आया। जिस पर डॉक्टर ने सुमलेश कुमार को छोड़ देने की बातें कही। डाक्टर की बातों पर सुमलेश कुमार को कुछ क्षण के लिए छोड़ भी दिया गया। लेकिन पुनः फंसाने के नियत से एसआई ने डॉक्टर पर प्रेशर बनाते हुए उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बेलदौर से रेफर करवा लिया। जिसमें लिखा गया था युरीन टेस्ट,बल्ड जांच,रेफर करवाने के बाद उक्त पत्रकार को अस्पताल नहीं ले जाकर फंसाने के नियत से डीएसपी कार्यालय गोगरी लेकर चले गए और वहां भी एक दूसरे मशीन से जांच किया तो परिणाम शुन्य आया फिर भी नहीं छोड़ा गया। पत्रकार को अस्पस्ताल नहीं ले जाकर गोगरी थाना ले जाया गया । जहां इधर-उधर कर एक रिसीविंग उस मशीन से निकालकर पुनः प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बेलदौर उक्त पत्रकार को लेकर आया और डॉक्टर के साथ कानाफूसी कर,दवाब बनाकर डाक्टर से हस्ताक्षर करवा लिए। पीड़ित पत्रकार ने बताया कि जब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बेलदौर में डॉक्टर के सामने शराब जांच किया गया तो परिणाम शुन्य (0)आया तो फिर दूसरे जगह से लाए हुए रिसीविंग पर बेलदौर के डॉक्टर ने कैसे सत्यापित कर दिए और शराब पीने की पुष्टि कैसे कर दी गई ? थाना अध्यक्ष, एसआई और डॉक्टर तीनों के मिलीभगत से बिना शराब पिए व्यक्ति को फंसाने के नियत से उक्त रिसीविंग पर डॉक्टर से सत्यापित करवा लिया गया ? जो कि गंभीर जांच का विषय है। जानकार का माने तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा पदाधिकारी के सामने जब शराब पीने की पुष्टि होती तो उसी वक्त रिसिविंग को वे सत्यापित करते। जब उनके सामने परिणाम 0 शुन्य आया तो बाहर से लाए हुए रिसीविंग पर दस्तखत करवाना उचित और न्याय संगत नहीं है ? गोगरी डीएसपी कार्यालय में शराब पीने की जांच किया गया तो वहां पर भी मात्रा 0 प्रतिशत शराब की महक नहीं थी। जब शराब की महक नहीं निकला तो 15प्रतिशत शराब का महक बताकर कैसे जेल भेज दिया! मालूम हो कि संविधान के मौलिक अधिकार अनुच्छेद 19(1)(ं) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की व्यवस्था दी गई।
आवेदन के अनुसार उक्त पत्रकारों के द्वारा बेलदौर थाना अध्यक्ष शिव कुमार यादव एवं एसआई महानंद चैधरी के काले कारनामे का उजागर लगातार किया जा रहा था। जिसके कारण थानाध्यक्ष के इशारे पर एसआई महानंद चैधरी ने अपने सहयोगी शराबी को सेट कर पत्रकार को साजिश के तहत फंसाया गया। जो गंभीर जांच का विषय है। वहीं बेलदौर प्रखंड में अवैध बालू खनन के मामले में भी खबर प्रकाशित किया गया था।
विदित हो कि इस घटना की उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच पड़ताल हेतु बेलदौर सहित खगड़िया के सभी समाचारपत्रों के युवा पत्रकारों ने एकजुट होकर एसपी अमितेश कुमार का ध्यान आकृष्ट किया है।

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