खगड़िया: सदर प्रमुख श्वेत शिखा की कुर्सी खतरे में… 21 पंचायत समिति सदस्यों ने लिखित अविश्वास प्रस्ताव किया समर्पित… विकास कार्यों में कमीशन व स्वार्थ की पूर्ति का बहाना मात्र है यह बेवुनियाद प्रस्तावपत्र – श्वेत शिखा
खगड़िया: सदर प्रमुख श्वेत शिखा की कुर्सी खतरे में… 21 पंचायत समिति सदस्यों ने लिखित अविश्वास प्रस्ताव किया समर्पित…
विकास कार्यों में कमीशन व स्वार्थ की पूर्ति का बहाना मात्र है यह बेवुनियाद प्रस्तावपत्र – श्वेत शिखा
खगड़िया/ कोशी एक्सप्रेस/ प्राप्त सूचना सदर प्रखन्ड प्रमुख श्वेत शिखा के विरुद्ध कल दिनांक 9 जून 2020 को 21 पंचायत समिति सदस्यों ने एक हस्ताक्षरयुक्त अविश्वास व निंदा प्रस्ताव सदर प्रखंड विकास पदाधिकारी सहित संबंधित अधिकारियों के यहां सौंप कर अनेक सवालों के घेरे में पंचायतीराज विभाग को डाल दिया है।
मालूम हो कि एक तरफ उक्त समर्पित अविश्वास प्रस्ताव में सदर प्रखंड प्रमुख श्वेत शिखा पर गंभीर आरोप लगाया है कि कि उनके द्वारा पंचायत समिति की बैठक तक नहीं कराकर योजनाओं में गोलमाल किया गया है, चार वर्षों तक प्रमुख ने भ्रष्टाचार और अनियमितताओं में लिप्त होकर बिहार पंचायती राज अधिनियम को ताक पर रखकर व्यक्तिगत स्वार्थ कीपूर्ति की गई है।
बताया गया है कि पंचायत समिति क्षेत्र संख्या-31 माड़र उत्तर, संसारपुर, सन्हौली, बछौता, भदास, तेतराबाद, चांदपुरा, बरैय क्षेत्रों में योजनाओं की राशि मनमानी ढंग से डकार ली गई है।
विदित हो कि समर्पित अविश्वास प्रस्ताव में लिखा गया है कि पंचायत समिति सदस्यों को अपने अपने क्षेत्रों में कार्यों के प्रभावी निर्वहन हेतु सदस्यों से निर्वाचन द्वारा (1) सामान्य स्थायी समिति (2) वित्त अंकेक्षण तथा योजना समिति (3) उत्पाद समिति (4) सामाजिक न्याय समिति (5) शिक्षा समिति (6) लोक स्वा0 परिवार कल्याण एवं स्वच्छता समिति (7) लोक निर्माण समिति होने के वाबजूद चार साल गुजर गये लेकिन आजतक सदर प्रमुख द्वारा बैठक तक बुलाई नहीं गई है।
दूसरी तरफ सदर प्रमुख श्वेत शिखा के सौजन्य से जानकारी दी गई है उक्त अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्ध करने की साजिश रची गई है क्योंकि हस्ताक्षरयुक्त आवेदन में कुछ सदस्यों को इस बात की जानकारी तक नहीं है कि आवेदनपत्र में लिखा क्या गया है ?
स्थानीय लोंगो ने प्रेस को बताया कि यदि संबंधित सदर प्रखंड प्रमुख श्वेत शिखा की कार्यशैली इतनी खराब और एकतरफा दी, तो पंचायत समिति सदस्य चार वर्षों तक किसा बात की प्रतीक्षा कर रहे थे ? लोगों का मानना है कि राजनीति के खेल में ऐसे ही तमाशे खेले जाते हैं। अब देखना यह है कि प्रशासनिक स्तर से इस संदर्भ में सच्चाई किस रुप में सामने आती है है । जारी..