अल्ट्रासाउंड और प्राइवेट क्लिनिको की जांच का बहाना बनाकर खगड़िया सीएस डॉ अमिताभ को बदनाम करने की साजिश तो नहीं…?

अल्ट्रासाउंड और प्राइवेट क्लिनिको की जांच का बहाना बनाकर खगड़िया सीएस डॉ अमिताभ को बदनाम करने की साजिश तो नहीं…?

खगड़िया/कोशी एक्सप्रेस/ प्राप्त सूचनानुसार मुंगेर प्रमंडल के क्षेत्रीय स्वास्थ्य अपर निदेशक डॉ वीरेंद्र कुमार ने 11 अप्रैल 2024 को अचानक दलबल के साथ खगड़िया पहुंचकर निजी क्लीनिकों सहित अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर आक्रामक दहशत फैलाया और बिना विभागीय नोटिस पुलिसिया स्टाइल में संबंधित लोगों को एक नामजद दलाल के माध्यम से मुंगेर आने का परामर्श दिया। देखते ही देखते बातें बिजली की तरह कौंध गई। पूरे शहर में आक्रोश पसर चुका है।

मालूम हो कि नियमानुसार किसी भी विभाग के उच्च अधिकारियों को जिले में पहुंचकर छापा मारने के पूर्व जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक महोदय को सूचित करना अनिवार्य माना जाता है क्योंकि ऐसे छापे से अप्रिय घटना की संभावना बनी रहती है। आश्चर्य की खगड़िया के सिविल सर्जन डॉक्टर अमिताभ सिन्हा तक को सूचना नहीं देते हुए डॉ वीरेंद्र कुमार ने अपनी थोथी कर्तव्य निष्ठा का भ्रम फैलाया।
यह भी सच है कि वर्षों से निजी क्लिनिको और अल्ट्रासाउंड सेवा में कार्यरत लोगों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई होती भी रही है। लेकिन आंखें मूंद कर किसी को आरोपी नहीं बनाया जा सकता है, कानून के हाथ बहुत लंबे हैं।
स्थानीय लोगों ने प्रेस को अपना नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि सिर्फ खगड़िया सीएस डॉ अमिताभ सिन्हा को बदनाम करते हुए उन्हें सूचित नहीं करते हुए दलालों के माध्यम से सुविधा राशि वसूलने की कुचेष्टा की गई।
बताया गया है कि क्षेत्रीय स्वास्थ्य अपर निदेशक डॉ वीरेंद्र कुमार की टीम में एक बिचौलिया ने अपना फोन नंबर देकर संपर्क करने की सलाह दी गई जो गंभीर अपराध है। सूत्रों का कहना है कि जिस सूमो में सवार होकर स्वास्थ्य विभाग की टीम खगड़िया पहुंची थी, उसमें एक संदिग्ध विवादित दलाल के मौजूद रहने का औचित्य क्या है ? और छापा दल में प्रयुक्त सरकारी गाड़ी सूमो का इंश्योरेंस दस वषों से फेल बताया गया है।
प्रेस एसोसिएशन ऑफ़ बिहार के अध्यक्ष सह वरिष्ठ पत्रकार आरएमपी मधुर ने इस संवेदनशील मामले पर माननीय पटना उच्च न्यायालय में पीआईएल दर्ज कराकर संबंधित विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध उच्च स्तरीय जांच की गुहार लगाएंगे।

विदित हो कि जिले में फर्जी अल्ट्रासाउंड और बिना डॉक्टर निजी क्लीनिक चलाने की परंपरा भी फलती फूलती रही है। ऐसे संचालकों के विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई की आवश्यकता जरूर है।

 

 

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