महाराष्ट्र में Freedom Off Speech की हत्याः R.Bharat के जुझारु पत्रकार अनुज की गिरफ्तारी के विरुद्ध आन्दोलन का ऐलान.. जमीं बेच देंगे… आसमां बेच देंगे… कलम के सिपाही गर सो गये तो, महाराष्ट्र के तथाकथित नेता लाशों के कफन बेच देंगे…।
महाराष्ट्र में Freedom Off Speech की हत्याः
R.Bharat के जुझारु पत्रकार अनुज की गिरफ्तारी के विरुद्ध आन्दोलन का ऐलान..
जमीं बेच देंगे… आसमां बेच देंगे…
कलम के सिपाही गर सो गये तो,
महाराष्ट्र के तथाकथित नेता
लाशों के कफन बेच देंगे…।
खगड़िया/कोशी एक्सप्रेस/ देश की आत्मा में विराजमान आर.भारत चैनल के जुझारु पत्रकार अनुज तथा अन्य की गिरफ्तारी पर बिहार के 74 वर्षीय वरिष्ठ पत्रकार आर.एम.पी. मधुरी ने कहा कि महाराष्ट्र में अब प्रजातंत्र की रीढ़ टूट चुकी है, संविधान के चौथे स्तम्भ मीडिया पर महाराष्ट्र में लगातार प्रहार किए जा रहे हैं जो निदंनीय है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की हत्या करना राष्ट्रद्रोह है। वरिष्ठ पत्रकार मधुर ने बताया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ऑफ इण्डिया द्वारा वर्ष 2014 में तत्कालीन सीबीआई निदेशक रणजीत सिन्हा केस मामले में कहा था कि प्रेस पर कोर्ट का नियंत्रण नहीं है (5 सितम्बर 2014 में प्रकाशित समाचार, प्रभात खबर दैनिक) हिन्दुस्तान दैनिक ने इस संदर्भ में लिखा की कोर्ट का प्रेस पर कोई नियंत्रण नहीं , शीर्षकन्तर्गत समाचार प्रकाशित किया थां । इस बात का तात्पर्य यह है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में भारतवर्ष की आत्मा निवास करती है।
मालूम हो कि वर्ष 1975 (आपात काल ) के बाद कांगे्सी सरकार द्वारा बिहार में एण्टी प्रेस बिल लागू कर पत्रकारों की आजादी पर कुठाराघात किया गयाथा , इस कानून के विरुद्ध भारत सहित पूरी दुनिया के लोगों ने विरोध किया और एण्टी प्रेस बिल तत्कालीन बिहार सरकार को वापस लेना पड़ा ।
महाराष्ट्र में सरकार और कानून नाम की सुचिता मर चुकी है जबकि मुंबई में निमार्ण कार्यों को साकार करने में संम्पूर्ण भारत की प्रतिभा पिरोई गई है। पत्रकार मधुर ने कहा की महाराष्ट्र सरकार द्वारा पत्रकारों के विरुद्ध अघोषित युद्ध कायम कर प्रजातंत्र को चुनौती दी गई है। अभिनेत्री कंगना एक अकेली लड़की मुंबई में जरुर है लेकिन उसके साथ देश की 135 करोड़ा जनता का आर्शीवाद उपलब्ध है।
आर.भारत चैनल के अर्णव गोस्वामी सहित सभी युवा पत्रकारों ने पत्रकारिता की सरजमीं पर अत्यन्त निष्पक्षता, निर्भीकता और ईमानदारी बटोरकर इन्कलाब का ऐलान किया है। काश, मैं मुंबई में रहता तो इस बुढ़ापे में भी उद्धव सरकार के पाखण्डी तेवर और उदण्डता के विरुद्ध जनआन्दोलन का हिस्सा बनने पर बाध्य हो जाता…! कहावत है- विनाशकाले विपरीत बुद्धि..
यह सच है कि पत्रकारिता मनोरंजन का साधन नहीं है, इस विधा को राष्ट्र की पीड़ित आत्मा से सरोकार है।
जमीं बेच देंगे… आसमां बेच देंगे…कलम के सिपाही गर सो गये तो,
महाराष्ट्र के तथाकथित नेता लाशों के कफन बेच देंगे…।
नोटं- प्रसारित समाचार से सहमत होना या ना होना हमारी जिम्मेवारी नहीं है- संपादक