खगड़ियाः मापतौल विभाग की अनदेखी से उपभोक्ता त्रस्त… व्याप्त भ्रष्टाचार व करोड़ों रुपये राजस्व की चोरी- अनियमिताओं के खिलाफ मामला दर्ज… सामग्री तौल कम देने वालों विक्रेताओं के बीच दहशत पसरा 

खगड़ियाः मापतौल विभाग की अनदेखी से उपभोक्ता त्रस्त... व्याप्त भ्रष्टाचार व करोड़ों रुपये राजस्व की चोरी- अनियमिताओं के खिलाफ मामला दर्ज… सामग्री तौल कम देने वालों विक्रेताओं के बीच दहशत पसरा

खगड़िया/कोशी एक्सप्रेस/प्राप्त सूचनानुसार खगड़िया जिले के माप-तौल निरीक्षक मो. जियाउल हक के विरुद्ध बिहार लोक शिकायत अधिनियम 2015 तहत वरिष्ठ पत्रकार आर.एम.पी. मधुर ने मामला दर्ज कराते हुए लाखों दूकानदारों च बिक्रेताओं के बटखरे पर सवाल उठाकर विभागीय भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया है।
मालूम हो कि माप तौल विभाग द्वारा पेट्रोल पंप, सैकड़ों जनवितरण दूकानदारों, हजारों छोटे-बड़े दूकानदारों, सिमेंट, छड़, बालू, गिट्टह, फल, सब्जी, मांस, मुर्गा, खाद, बीज, किराना, गल्ला एवं अन्य सामग्रियों के बिक्रेताओं से प्रति माह और हर साल बिना रजिष्ट्रेशन या बिना मान्य कागजात बतौर रिश्वत वसूल की जाती है। जानकार लोगों ने प्रेस को बताया कि प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये राजस्व की चोरी दिन दहाढ़े की जाती रही है और आजतक इनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई नहीं हुई।
आश्चर्यहै कि उक्त विभाग के पास अपना एक दुरुस्त कार्यालय तक उपलब्ध नहीं है। सूत्रों का कहला है कि जिले के सभी क्षेत्रों से रिश्वत वसूलने के लिए कमीशन पर कुछ लोगों को तैनात किया गया है।
विदित हो कि जि.लो. शिकायत निवारण द्वारा जारी पत्रांक 42111-21672 दिनांक 15 फरवरी 2021 परिवाद पत्र संख्या 421110115022104744 के आलोक में संबंधित निरीक्षक, मापतौल ने पत्रांक 20 दिनांक 23.2.2021 को प्रतिवेदन समर्पित करते हुए भ्रामक और मनगढ़न्त प्रेषित किया है कि (सोमवार और मंगलबार को व्यापारियों के उपकरण की जांच और सत्यापन किया जाता है जबकि माप तौल निरीक्षक द्वारा सिर्फ कागजी प्रक्रिया घर बैठे बनाकर तैयार कर ली जाती है। इस विभाग का कोई अता-पता किसी को मालूम नहीं है, यह विभाग अपनी पहचान दिप कर संचालित है। (2) निरीक्षक ने कार्याल्य में लिपिक और अनुसेवक की पदस्थापना नहीं होने के बारे में भी माननीय लोक शिकायत पदा. को अवगत कराया है। संबंधित निरीक्षक ने खुद स्वीकार किया है कि निर्धारित लक्ष्य 62 प्रतिशत ही राजस्व संकलन हुआ है, ऐसा आखिर क्यों ? जबकि जिले में लक्ष्य से ज्यादा 200 ्रपतिशत राजस्व संग्रह की क्षमता मौजूद है।
अब विवादित मापतौल निरीक्षक को प्रामाणिक तौर पर बताना होगा कि हजारों जनवितरण प्रणाली दूकानदारों एवं खाद्य व किराना दूकानदारों को अबतक विभाग के निर्धारित नियमों तहत क्यों नहीं मान्य सूचाी में शामिल किया गया ? ऐसे लोगों को वंचित रखने का रहस्य क्या है? आश्चर्य तो इस बात से है कि जिले के मापतौल विभाग के पास दूकानदारों की सूची तक उपलब्ध नहीं है।
यदि मापतौल विभाग की अनियमितताओं का यही हाल पूरे प्रदेश में है, तो वरिष्ठ पत्रकार आर.एम.पी. मधुर ने प्रेस को बताया कि इस घोटाले के विरुद्ध वे माननीय पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दर्ज कराकर भ्रष्टाचार उजागर करेंगे क्योंकि प्रदेश में कानून का राज है, कानून से बड़ा कोई नहीं है।
दिलचस्प बात यह है कि विभागीय निर्देश पर गत 26 फरवरी 2021 को मापतौल विभाग द्वारा स्थानीय एक होटल में जागरुकता अभियान आयेाजित कर संबंधित विभाग के अन्य अधिकारियों के बीच अपनी पीठ थपथपाई गई।

 

नोटं- प्रसारित समाचार की  जिम्मेवारी प्रेस की नहीं है तथा  विज्ञापनों की  प्रामाणिकता से  प्रेस का कोई सबंध नहीं है – संपादक

 

 

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