खगड़िया:  6 लाख 43 हजार का मामला: क्या अवैध भुगतान के आरोप में गोगरी रेफरल अस्पताल के आरोपी डाक्टर चन्द्रप्रकाश व लेखालिपिक मिथिलेश मण्डल के विरुद्ध F.I.R. दर्ज होगा ?

खगड़िया:  6 लाख 43 हजार का मामला: क्या अवैध भुगतान के आरोप में गोगरी रेफरल अस्पताल के आरोपी डाक्टर चन्द्रप्रकाश व लेखालिपिक मिथिलेश मण्डल के विरुद्ध F.I.R. दर्ज होगा ?खगड़िया/कोशी एक्सप्रस/ प्राप्त सूचनानुसार गोगरी रेफरल अस्पातल के तत्कालीन प्रभारी चिािकत्सा पदाधिकारी सह डीडीओ डा. चन्द्रप्रकाश ने संविदा पर बहाल महेशखूँट अस्पताल के डाक्टर विकास कुमार को वेतन राशि (मानदेय) 6 लाख 43 रुपये ट्रेजरी से भुगतान हेतु फाइल हेड क्लक मिथिलेश कुमार मण्डल को फेजकर अवैध तरीके से भुगतान करा दिया। मामला उजागर होने पर डीएम आलोक रंजन घोष ने कोषागार से अवैध निकासी के विरुद्ध सिविल सर्जन अजय कुमार सिंह को जांचोपरान्त विधि सम्मत् कार्रवाई का आदेश दिया था। जानकार लोगों का कहना है कि संविदा पर नियुक्त कर्मियों का मानदेय सीधे तौर पर कोषागार के माध्यम से भुगातन नहीं किया जाना है। कानून की नजरों में इस प्रक्रिया को फर्जीबाड़ा कहा जाता है।
मालूम हो कि पूर्व प्रभारी डा. चन्द्रप्रकाश ने अपने बचाव में बताया है कि संविदा पर बहाल डा. विकास कुमार को पत्र भेजकर कहा गया है कि मानदेय राराशि 6,43,375 रुपये ट्रेजरी  द्वारा स्टेट बैंक एकाउण्ट से आपको भेजा गया था, लेकिन आपकी नियुक्ति जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा की गई थी, जो एनएचएम माध्यम से ही मानदेय प्राप्त करने का नियम है। डाॅ. चन्द्रपकाश ने पत्र में लिखा है कि उक्त राशि का चालान वापस करें।
गोगरी अस्पताल के हेड क्लर्क सह लेखापाल ने बताया कि भुगतान संबंधी संचिका डा. चन्द्रपकाश, डीडीओ द्वारा भेजी गई थी, जो भूलवश ट्रेजरी भेज दी गई और भुगतान हो गया ।
अब सवाल उठता है कि फर्जी भुगातन में कोषागार की कानुनी भूमिका क्या है ? कोषागार पदाधिकारी आमिर नैयर ने प्रेस को बताया कि ट्रेजरी में पारदर्शिता और निष्पक्षता कायम है।
वहीं कोषागार के बड़ा बाबू अंजनी का कहना है कि गोगरी के चिकित्सा पदा. चन्द्रप्रकाश स्वयं डीडीओ थे, उनकी संचिका पर अवरोध लगाना ट्रेजरी का काम नहीं है।
जिला प्रशासन के लिए यह गंभीर बात सामने आई है कि पता नहीं, किस किस विभाग में संविदा पर बहाल लोगों द्वारा किस रुप में फर्जीबाड़े को अंजमा दिया जा रहा है ?
क्या डा. विकास कुमार द्वारा मानदेय राशि वापस करने के बाद भी फर्जीबाड़ा का मामला खत्म होने का प्रावधान है ?
विभागीय कुछ लोगों ने बताया कि हेड क्लर्क सह लेखापाल मिथिलेश कुमार को अबतक इस फर्जीबाड़े के गंभीर आरोप के विरुद्ध न तो निलंबित किया जा सका है और न तो स्थानान्तरित करने की प्रक्रिया अपनाई गई ? आखिर क्यों ? जबकि जिले में एक रुपये अधिक पीडीएस राशन दूकानदार द्वारा लेने पर प्राथमिक दर्ज कराकर लाइसेन्स निलंबित कर दिया जाता है। लेकिन गोगरी अस्पताल के पूर्व चिकित्सा प्रभारी डा. चन्द्रपकाश को अवैध रुप में जिला कोषागार से भुगतान कराने के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की गई। यह सच है कि कानूनी कार्रवाई की रफ्तार धीमी होती है। परंतु दिनों दिन शिकंजा गहरा होता जाता है।
सीएस अजय कुमार सिंह ने 9 अक्टूबर 2020 को स्पष्ट कहा कि गोगरी रेफरल अस्पताल के हेड क्लर्क सह लेखालिपिक मिथिलेश कुमार मण्डल को वित्तीय कार्यों से हटाकर विधि सम्मत कार्रवाई की जा चुकी है तथा डाॅ. विकास कुमार (संविदा पर नियुक्त) के संदर्भ में समस्तीपुर के सीएस को उनके मानदेय से राशि काटकर एडजस्ट कराने के लिए लिखा गया है।

 

 

खगड़िया जिला प्रशासन द्वारा जारी संदेश –
‘‘चारो विधानसभा में है सुरक्षा का पूरा इंतजाम, शत-प्रतिशत होगा मतदान’’

नोटं- प्रसारित समाचार से सहमत होना या ना होना हमारी जिम्मेवारी नहीं है- संपादक

 

 

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