खगड़िया: भ्रष्टाचार प्रकरण-2…एसएफसीआई में अननिगत घोटाले की ग्राउण्ड रिपोर्टिग… एजीएम मिथिलेश से लेकर संबंधित ठिकेदारों की मनमानी का पर्दाफाश … प्रेस कैमरे के सामने मजदूरों की आँखों से आंसू बनकर छलका दर्द..

खगड़िया: भ्रष्टाचार प्रकरण-2…एसएफसीआई में अननिगत घोटाले की ग्राउण्ड रिपोर्टिग… एजीएम मिथिलेश से लेकर संबंधित ठिकेदारों की मनमानी का पर्दाफाश … प्रेस कैमरे के सामने मजदूरों की आँखों से आंसू बनकर छलका दर्द..खगड़िया/कोशी एक्सप्रेस/ गुरुवार 24 सितम्बर 2020 को प्रेस एसोसिएशन आफ बिहार तथा कोशी एक्सप्रेस टीम ने संयुक्त रुप से बाजार समिति स्थित सरकारी गोदाम में कार्यरत पीड़ित मजदूरों की समस्याओं को प्रामाणिक रुप से कैमरे में रिकार्ड किया।

इस गोदाम पर कार्यरत मजदूरों ने एक स्वर में आरोप लगाया कि मजदूरों की चैथी पीढ़ी गोदामों पर अपना पसीना बहा रही हैं, लेकिन संबंधित ठिकेदारों तपन कुमार सिंह (मेन ठिकेदार) और डोर राशन ठिकेदार प्रवीण कुमार चैधरी द्वारा मजदूरों की निर्धारित मजदूरी आजतक नहीं दी गई । पिछले दिनों बिहार के लब्ध प्रतिष्ठि समाचारपत्र ने इस गंभीर मुद्दे को प्रमुखता के साथ मजदूरों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से समाचार प्रकाशित कर जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट किया था, बावजूद समचार लिखेे जाने तक प्रति माह छः लाख से अधिक गरीबों की मजदूरी ठिकेदारों और दलालों द्वारा डकार ली जा रही है। अबतक प्राथमिकी दर्ज नहीें होने की सूचना है।
मालूम हो कि मजदूरों को आजतक मेडिकल सुविधा, इंश्योरेन्स तक नहीं दी जा रही है। जबकि मजदूर भिखारी पासवान खाद्यान्न ढ़ोते-ढ़ोते गिर पड़ा था और दो महीने तक इलाजरत रहा। इसी तरह सुजीत कुमार, महेन्द्र पासवान, दरोगी तांती, राजेश कुमार पासवान, नरेश यादव, चन्द्रर यादव, आजाद महतो एवं अन्य मजदूरों के साथ भी छोट-बड़ी दुर्घटना और हादशे होते रहे हैं लेकिन गरीब मजदूरों को आजतक एक रुपया भी इलाज के नाम पर सरकार या ठिकेदार द्वारा नहीं दिया गया, इतना ही नहीं महीनों तक इन्हें इनकी मजदूरी से वंचित रखा गया।
एजीएम मिथिलेश कुमार ने बताया कि वे विगत चार वर्षों से गोदाम पर पदस्थापित हैं,। उन्होंने कहा कि ठिकेदार और मजदूर पर उनका कानुनी नियंत्रण नहीं है। जानकार लोगों ने बताया कि उक्त एजीएम मिथिलेश कुमार भ्रष्टाचार में आकंठ डूब चुके हैं, इनके विरुद्ध अनेक बार घोटाले और अनियमितताएं उजाग हुई हैं लेकिन इन्हेांने मैनेजकर अपना स्थान सुरक्षित बनाकर रखा है। इस गोदाम से बड़े पैमानेपर सरकारी खाद्यान्न की कालाबाजारी प्रतिदिन होती है।
विदित हो कि इस गोदाम में लगभग 40 हजार क्वींटल खाद्यान्न (चावल-गेहँू) की आमद केन्द्रीय भण्डारण निगम तथा भारतीय खाद्य निगम से होती है।
अब सवाल उठता है सरकारी खाद्यान्न घोटाले से लेकर सैकड़ों मजदूरों की मजदूरी घोटाले की पड़ताल कौन और कैसे, कब करेगा ? जारी

 

नोटं- प्रसारित समाचार से सहमत होना या ना होना हमारी जिम्मेवारी नहीं है- संपादक

 

 

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