जन सुराज के प्रणेता प्रशांत किशोर ने मीडियाकर्मियों को भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे बिहार सहित केंद्र की राजनीति से कराया रूबरू…
जन सुराज के प्रणेता प्रशांत किशोर ने मीडियाकर्मियों को भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे बिहार सहित केंद्र की राजनीति से कराया रूबरू…
खगड़िया/ कोशी एक्सप्रेस/ आज सोमवार 5 जनवरी को स्थानीय बाजार समिति परिसर में जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने आयोजित प्रेसवार्ता में बिहार की दूरदर्शा पर मीडिया कर्मियों को रूबरू कराया। मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि अभी तक 17 महीनों में वे बिहार के 4500 गांवों में पैदल मार्च करते हुए पहुंचेत हैं। इतना चलकर उन्होंने पाया कि बिहार की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी और पलायन है। पदयात्रा कर हमने इन दोनों समस्याओं की विकरालता, सामाजिक और आर्थिक पहलुओं को जाना। सामान्यत: हम जानते हैं कि पलायन गरीबों की समस्या है, पदयात्रा के दौरान हमने अनुभव किया कि बिहार में पलायन से कोई परिवार अछूता नहीं है। गरीब परिवार के लोग दूसरे राज्यों में मजदूरी करने के लिए पलायन कर रहे हैं और जो समृद्ध परिवार हैं, वो पढ़ाई और नौकरी करने के लिए दूसरे राज्यों में जा रहे हैं। बाहर हर व्यक्ति को जाना है, बिहार में शायद ही कोई परिवार है जिसमें पति-पत्नी, बच्चे साथ में रह रहे हैं। पलायन की वजह से बिहार में परिवार की संकल्पना ही धूमिल पड़ती जा रही है। लोग ये मानकर चल रहे हैं परिवार में जो पुरुष वर्ग हैं उसे साल में 10, 11 महीने परिवार से अलग ही रहना पड़ेगा। इसकी विकरालता का आलम ये है कि ज्यादातर गांवों में बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे मिलते हैं। गांवों में नवयुवकों की संख्या काफी कम हो गई है। समाज में जो समृद्ध लोग हैं उनके लिए भी बेरोजगारी की समस्या है बहुत बड़ी, बेरोजगारी ने हर वर्ग को किया प्रभावित: प्रशांत किशोर*
प्रशांत किशोर ने कहा कि जिन पंचायतों में बाढ़ का प्रकोप है वहां 60 से 70 फीसदी युवा दूसरे राज्यों में रह रहे हैं। जिन पंचायतों में बाढ़ का खतरा नहीं है वहां भी 40 से 50 फीसदी युवा बाहर रह रहे हैं। बेरोजगारी यहां बहुत है, ये बात सब लोग जानते हैं, बेरोजगारी सिर्फ एक वर्ग, एक समाज की समस्या नहीं है। समाज में जो समृद्ध लोग हैं उनके लिए भी बेरोजगारी की समस्या बहुत बड़ी है। मैं रास्ते में चलता हूं तो ऐसे लोग मिलते हैं जिनके पास 10, 20 बीघा जमीन है, रोजी रोजगार है, छोटा-मोटा व्यापार करते हैं, वे लोग भी आकर 20-25 हजार रुपए की नौकरी के लिए हाथ पैर जोड़ने के लिए तैयार हैं। बेरोजगारी और पलायन यहां की सबसे बड़ी सर्वस्पर्शी और समाज के हर वर्ग को प्रभावित करने वाला मुद्दा दिखा।
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