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सरस्वती विद्या मंदिर खगड़िया में संपन्न हुई मातृ-पितृ पूजन दिवस…शहीदों के नाम एक दीपक कार्यक्रम का भी हुआ आयोजन
सरस्वती विद्या मंदिर खगड़िया में संपन्न हुई मातृ-पितृ पूजन दिवस…शहीदों के नाम एक दीपक कार्यक्रम का भी हुआ आयोजन
खगड़िया/कोशी एक्सप्रेस/विद्या भारती विद्यालय सरस्वती विद्या मंदिर खगड़िया में आज दिनांक 14 फरवरी 2023 दिन मंगलवार को माता-पिता के सम्मान में मात्री दिवस एवं पुलवामा में शहीद हुए जवानों याद में शहीदों के नाम एक दीपक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन विद्यालय के सचिव भरत सिंह जोशी उर्फ प्रभाष कुमार , प्रधानाचार्य सुरेंद्र प्रसाद , अभिभावक प्रियंका गुप्ता द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। इसके पश्चात विद्यालय के वरिष्ठ आचार्य विद्यानंद सिंह द्वारा अतिथियों का परिचय कराया गया। कार्यक्रम की उपादेयता बताते हुए प्रधानाचार्य ने कहा इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समाज में खेल रही विसंगतियों को दूर कर भैया बहनों में अपने माता-पिता के प्रति सम्मान का भाव जगाते हुए जिम्मेदारी का एहसास कराना भी है। इसके साथ ही आज ही के दिन पुलवामा में शहीद हुए वीर जवानों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि हमें अपने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर जवानों के सहादत को भूलना नहीं चाहिए।
इसके पश्चात भैया बहनों द्वारा साथ में आए अपने माता-पिता का पूजन व आरती का कार्यक्रम किया गया। बच्चों ने अपने माता-पिता के चरणों में पुष्प अर्पित कर व आरती दिखाकर उनसे उज्जवल भविष्य के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके के बाद शहीदों को याद करते हुए सभी भैया बहन एवं अभिभावक गण ने एक एक दीप जलाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विद्यालय के सचिव ने कहा कि माता पिता ईश्वर तुल्य है, उनका सारा जीवन अपने बच्चों के लालन-पालन एवं एवं जिंदगी संवारने में गुजर जाती है, परंतु वही बच्चे बड़े होकर अपने माता पिता को भूल जाते हैं। हमें ऐसे संस्कृति से बचना है। हमें अपने बच्चों को नासा तो भेजना है पर समाज को नाश होने से भी बचाना है। वीर शहीदों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि जब तक ऐसे वीर हमारे देश की रक्षा करेंगे हमारे देश की तरफ कोई आंख उठा कर भी नहीं देख सकता।
विद्यालय की संरक्षिका सुधा बाला ने भैया बनो को संबोधित करते हुए कहा कि पाश्चात्य संस्कृति हमारे अनुकूल नहीं है और यह हमारे समाज व देश के लिए घातक है। हमें इसका अंधाधुन अनुसरण कतई नहीं करना चाहिए। हम अपने जड़ एवं संस्कृति से जुड़कर ही अपना, अपने समाज का और और देश का संपूर्ण विकास कर सकते हैं। इस अवसर पर विद्यालय के सभी आचार्य एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
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