राष्ट्रीय प्रेस दिवस 2022:  खगड़िया के संघर्षरत मीडियाकर्मियों ने आयोजित सेमिनार में सौहार्दपूर्ण वातावरण में अपनी अभिव्यक्ति का किया इजहार..

राष्ट्रीय प्रेस दिवस 2022:  खगड़िया के संघर्षरत मीडियाकर्मियों ने आयोजित सेमिनार में सौहार्दपूर्ण वातावरण में अपनी अभिव्यक्ति का किया इजहार..राष्ट्रीय प्रेस दिवस 2022:  खगड़िया के संघर्षरत मीडियाकर्मियों ने आयोजित सेमिनार में सौहार्दपूर्ण वातावरण में अपनी अभिव्यक्ति का किया इजहार..

खगड़िया/कोशी एक्सप्रेस/ आज 16.11.22 को समाहरणालय सभा कक्ष में राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर सेमिनार/ संगोष्ठी का आयोजन जिला सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय द्वारा किया गया। सेमिनार की अध्यक्षता अपर समाहर्ता मोहम्मद राशिद आलम द्वारा की गई। वरिष्ठ पत्रकार श्री आरएमपी मधुर, श्री अरुण कुमार वर्मा, श्री अजिताभ कुमार सिन्हा, श्री शशि कुमार एवं श्री स्वतंत्र कुमार मंच पर आसीन हुए। प्रभारी जिला सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी श्री आनंद प्रकाश एवं जिला कल्याण पदाधिकारी श्री सुरेश कुमार भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। सेमिनार/ संगोष्ठी का आयोजन भारतीय प्रेस परिषद द्वारा दिए गए विषय “राष्ट्र निर्माण में मीडिया की भूमिका” पर किया गया। मंच का संचालन वरिष्ठ पत्रकार श्री अरुण कुमार वर्मा द्वारा किया गया।

इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार आरएमपी मधुर ने उपस्थित सभी युवा पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि पत्रकारिता एक अमूल्य सेवा है, जबकि संघर्षरत पत्रकारों को समाचार संकलन करने के दौर में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद कलम के सिपाही के दिलों में एक जुनून हमेशा कायम रहता है और वे नि:संकोच और नि:स्वार्थ होकर जन भावनाओं के अनुरूप समाचार संकलन करने का साहस करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि पत्रकारिता की बलिवेदी पर शहीद होने वाले जांबाज़ कलम के सिपाहियों की सुरक्षा पूरी दुनिया में भगवान भरोसे है।

परिचर्चा के विषय पर श्री आरएमपी मधुर, श्री अरुण कुमार वर्मा, श्री शशि कुमार , स्वतंत्र कुमार,  श्री अजिताभ कुमार सिन्हा, श्री देव कुमार, श्री आनंद राज, श्री सुमलेश कुमार आदि मीडिया कर्मियों ने अपने विचार रखे और कहा कि मीडिया का राष्ट्र निर्माण एवं लोकतांत्रिक संस्थाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मीडिया भी समाज का दर्पण होता है और समाज में घटित होने वाली घटनाओं एवं समस्याओं को सरकार के समक्ष रखता है। विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका के अलावा राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। राष्ट्र के निर्माण के लिए इन चारों स्तंभों के बीच स्वस्थ संबंध होने जरूरी हैं।मी डिया कर्मियों ने अपने प्रति बढ़ रहे हिंसक घटनाओं, आर्थिक असुरक्षा, काम में जोखिम के प्रति भी सेमिनार के दौरान चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वे जनता के मुद्दों को सरकार एवं प्रशासन के समक्ष प्रस्तुत करते हैं, ताकि इनका समाधान किया जा सके और सशक्त राष्ट्र का निर्माण हो सके।

वक्ताओं द्वारा राष्ट्र निर्माण में सकारात्मक खबरों के माध्यम से भी जनता को प्रोत्साहित करने एवं उन्हें देश के विकास के लिए तत्पर रखने के प्रयास पर बल दिया गया। खबरों को प्राया जनता द्वारा सत्य मानते हुए उन पर विश्वास किया जाता है, अतः मीडिया की विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि खबरों को प्रकाशित करने से पूर्व उनकी अच्छी तरह से सभी दृष्टिकोणों से जांच कर ली जाए।

इस अवसर पर अपर समाहर्ता मोहम्मद राशिद आलम ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए और मीडिया कर्मियों को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि मीडिया कर्मियों एवं प्रशासन के बीच अच्छे संबंध होने चाहिए। लोक कल्याणकारी राज्य में सरकारी पदाधिकारियों एवं कर्मियों का उत्तरदायित्व एवं कार्य अवधि बढ़े हुए हैं। ऐसी स्थिति में अगर मीडिया को बयान लेना है, तो वरीय पदाधिकारियों से ही लिया जाए ताकि सही स्थिति का ज्ञान हो सके। चुंकि मीडिया आम आदमी के कठिनाइयों और समस्याओं को प्रस्तुत करती है अर्थात उनका प्रतिनिधित्व करती है, तो उनकी भाषा भी सरल एवं मधुर होनी चाहिए। मधुर भाषा एवं शब्दों के जरिए भी प्रभावी तरीके से बात रखी जा सकती है। मीडिया कर्मियों को स्नेह एवं पहचान जनता द्वारा ही दिया जाता है। उनकी संतुष्टि का यही पैमाना होना चाहिए कि उन्होंने जनता की समस्याओं को सही तरीके से प्रस्तुत कर इस प्रकार राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाई है।

राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर आयोजित इस सेमिनार में बड़ी संख्या में मीडिया कर्मियों ने भाग लेकर इसे सफल बनाया। जिलाधिकारी डॉक्टर आलोक रंजन घोष ने भी सभी मीडिया कर्मियों को राष्ट्रीय प्रेस दिवस की शुभकामनाएं देते हुए अपने भूमिका का निर्वहन सजगता एवं जिम्मेदारी से करने की अपील की है।

 

  • नोटं- प्रसारित समाचार की जिम्मेवारी प्रेस की नहीं है तथा विज्ञापनों की प्रामाणिकता से प्रेस का कोई सबंध नहीं है – संपादक

 

 

 

 

 

 

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