भ्रष्टाचार/ ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल हुआ उजागर….निगम मुख्यालय SFC पटना में व्याप्त भ्रष्टाचार का मामला Patna High Court पहुंचा…पत्रकार मधुर ने विजिलेंस जांच की लगाई फरियाद..

भ्रष्टाचार/ ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल हुआ उजागर….

निगम मुख्यालय SFC पटना में व्याप्त भ्रष्टाचार का मामला Patna High Court पहुंचा…

पत्रकार मधुर ने विजिलेंस जांच की लगाई फरियाद…

पटना/ कोशी एक्सप्रेस/ प्राप्त सूचनानुसार खगड़िया निवासी बिहार के वरिष्ठ पत्रकार आरएमपी मधुर ने बिहार स्टेट फूड सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन लिमिटेड पटना में ट्रांसफर पोस्टिंग और बैक टू डिपार्मेंट के खेल का पर्दाफाश करते हुए माननीय पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश महोदय के यहां PIL जनहित याचिका cwjc नंबर 15759/2024 दर्ज करने का साहस किया है। मालूम हो कि एसएफसी निगम मुख्यालय में वर्षों से कुंडली मार कर बैठे अधिकारियों का स्थानांतरण इस विभाग के नियमावली में दर्ज नहीं है लेकिन बिहार के 38 जिलों में जिला प्रबंधकों को बंधुआ मजदूर की तरह जब मर्जी होती है ट्रांसफर कर कार्यहित और प्रशासनिक दृष्टिकोण का हवाला देखकर मोटी रकम वसूल करने की परंपरा फल फूल रही है। आश्चर्य की बिहार सरकार का ईडी और आर्थिक अपराध शाखा की दृष्टि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों की क्यों नहीं पड़ती है, विधि सम्मत कार्रवाई करने से रोकने में किस सफेदपोश हस्ती का हाथ है ?
प्रामाणिक विभागीय आदेश के 11 महीने पूर्व भी कार्यहित और प्रशासनिक दृष्टिकोण के जुमले के तहत कुछ जिला प्रबंधकों का स्थानांतरण आदेश दिया गया था, पुनः ज्ञापांक 7489, दिनांक 14.9.2024 को दर्जनों जिला प्रबंधकों द्वारा मुंह मांगी राशि निगम के भ्रष्ट लोगों तक नहीं पहुंचाई जा सकी थी। क्या बिहार में कानून अंधा है या विभाग में जंगल राज है ?
वरिष्ठ पत्रकार मधुर ने कहा कि उन्हें सिर्फ न्यायालय पर भरोसा है, अब न्यायालय के सामने सभी प्रामाणिक दस्तावेजों से जनहित याचिका के माध्यम से समर्पित किए जा चुके हैं। यदि विजिलेंस विभाग द्वारा जांच पड़ताल की गई तो बिहार के सृजन घोटाले से बड़े घोटाले की बात सामने आएगी। पत्रकार मधुर ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करना उनके शेष जीवन का एकमात्र संकल्प है। माननीय मुख्यमंत्री लगातार संदेश देते रहे हैं कि बिहार में भ्रष्टाचार पर सरकार जीरो टॉलरेंस नीति पर कायम है। लेकिन निगम मुख्यालय तो भ्रष्टाचार की गंगोत्री बन चुकी है। जानकार लोगों का कहना है कि निगम मुख्यालय की गतिविधियों पर प्रदेश सरकार का नियंत्रण नहीं है। बताया गया है कि मुख्यालय के प्रबंध निदेशक तक शिकायतें उच्च अधिकारियों के टेबल पर नहीं पहुंचती है तो क्या विभागीय एमडी डॉक्टर एन श्रवण के सामने ट्रांसफर पोस्टिंग और बैक टू डिपार्टमेंट जैसे गंभीर संचिकाओं को महाप्रबंधक प्रशासन की सिफारिश पर रूटीन वर्क की तरह अग्रसारित कर दिया जाता है ?
घोर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का मामला अति संवेदनशील एवं गंभीर है जो विजिलेंस या अन्य जांच एजेंसी ही भ्रष्टाचार में लिप्त अवैध संपत्ति अर्जित करने वालों पर कार्रवाई कर प्रदेश का हित करेगी।

 

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