खगड़िया: सभापति सीता कुमारी नप के प्रत्येक वार्ड पहुंचकर मुस्लिम भाई-बहनों को बकरीद की बधाई दी : रणवीर, पार्षद
सभापति सीता कुमारी नप के प्रत्येक वार्ड पहुंचकर मुस्लिम भाई-बहनों को बधाई दी : रणवीर, पार्षद
खगड़िया/कोशी एक्सप्रेस/आज 10 जुलाई 2022 को रविवार के दिन ईद -उल जोहा ( बकरीद) पर्व मनाया गया। ईद-उल फित्र के बाद मुसलमानों का ये दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है। नगर सभापति सीता कुमारी ने इस अवसर पर नगर पार्षद आफरीन बेगम,लूसी खातून और रिजवाना खातून को गले मिल बकरीद की बधाई दी साथ ही साथ जिले के सभी मुसलमान भाइयों को बकरीद की बधाई दी।
नगर सभापति सीता कुमारी ने कहा कि इस मौके पर ईदगाह या मस्जिदों में विशेष नमाज अदा की जाती है।इस पर्व पर इस्लाम धर्म के लोग साफ-पाक होकर नए कपड़े पहनकर नमाज पढ़ते हैं और उसके बाद कुर्बानी देते हैं। ईद-उल फित्र पर जहां खीर बनाने का रिवाज है वहीं बकरीद पर बकरे की कुर्बानी (बलि) दी जाती है।
हजरत इब्राहिम 80 साल की उम्र में पिता बने थे। उनके बेटे का नाम इस्माइल था। हजरत इब्राहिम अपने बेटे इस्माइल को बहुत प्यार करते थे। एक दिन हजरत इब्राहिम को ख्वाब आया कि अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान कीजिए। इस्लामिक जानकार बताते हैं कि ये अल्लाह का हुक्म था और हजरत इब्राहिम ने अपने प्यारे बेटे को कुर्बान करने का फैसला लिया।हजरत इब्राहिम ने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली और बेटे इस्माइल की गर्दन पर छुरी रख दी। लेकिन इस्माइल की जगह एक बकरा आ गया।जब हजरत इब्राहिम ने अपनी आंखों से पट्टी हटाई तो उनके बेटे इस्माइल सही-सलामत खड़े हुए थे। कहा जाता है कि ये महज एक इम्तेहान था और हजरत इब्राहिम अल्लाह के हुकुम पर अपनी वफादारी दिखाने के लिए बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए थे। इस तरह जानवरों की कुर्बानी की यह परंपरा शुरू हुई।
बकरीद के दिन कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। एक खुद के लिए, दूसरा सगे-संबंधियों के लिए और तीसरा गरीबों के लिए।
मस्जिद या ईदगाह दोनों की जगह ईद की नमाज पढ़ी जा सकती है। लेकिन ईदगाह जाकर नमाज अदा करना अच्छा तरीका माना जाता है। ऐसा इसलिए है ताकि लोगों को पता चल सके कि उनका कल्चर क्या है, उनका निजाम क्या है, वो कौन हैं। ईदगाह पर नमाज पढ़ने के अलावा एक-दूसरे से गले लगकर बधाई देने का भी रिवाज है।
मौके पर नगर पार्षद रणवीर ,बबीता देवी, पूर्व नगर पार्षद मो रुस्तम अली, मो जावेद अली, मो नसीम उर्फ लंबू मौजूद थे।
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