चिट्ठी न कोई संदेश जाने वह कौन सा देश जहां तुम चले गये… पूर्व किक्रेटर इंद्रजीत सिन्हा उर्फ राजू की आकस्मिक निधन से जिले में मातम

चिट्ठी न कोई संदेश जाने वह कौन सा देश जहां तुम चले गये… पूर्व किक्रेटर इंद्रजीत सिन्हा उर्फ राजू की आकस्मिक निधन से जिले में मातम…  खगड़िया/कोशी एक्सप्रेस/ जिंदगी और मौत के बीच हर कोई फासला चाहता है। लेकिन इसके बाद भी हर किसी को एक न एक दिन मौत आनी है। जिंदगी का एकमात्र सच मौत है। यह तीखा है, कड़वा है। पर यह जिंदगी के हसीन ख्वाब को जमीनी धरातल पर उतारता है।
खगड़िया निवासी व पूर्व किक्रेटर इन्द्रजीत कुमार सिन्हा उर्फ राजू की आकस्मिक निधन की खबर जैसे ही जिले में पहुंची वैसी ही उनके दोस्त, परिजन सहित आम लोगों के बीच मातम पसर गया।
स्व. राजू सिन्हा के बड़े पुत्र प्रवेश कुमार गोलू ने जानकारी दी कि कुछ दिन पूर्व उनकी तबियत ज्यादा खराब हो गई थी, जिसके बाद उन्हें पटना स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां डाक्टरों उन्हें आसीयू में भत्र्ती कर उच्च इलाज शुरु किया। ईलाज में सुधार भी हुआ लेकिन फिर उनकी स्थिति खराब हो गई जिसके बाद पटना एम्स में उन्हें भत्र्ती कराया गया। वहीं 5 जुलाई 2021 की मध्य रात्रि में उनकी हृदय गति रुकने से मौत हो गई।
अस्पताल कर्मियों ने बताया कि स्व. राजू बीमार होने के बावजूद वे अस्पताल कर्मियों का अपनी बातों से मन मौह लिया था । स्व. राजू एक मधुरभाषी स्वभाव धनी व्यक्ति थे, सामाज के सभी छोटे-बड़े गरीब अमीर लोगों से उनका संबंध अच्छा रहा। वे सामाज के सभी वर्गों और पीड़ित लोगों की सहायता व सेवा के लिए तैयार रहा करते थे।
उन्होंने अपने पीछे दो पुत्र प्रवेश कुमार सिन्हा उर्फ गोलू, मोलू, दो बेटियां पूजा, जूही अपनी पत्नी और अपनी मां को छोड़ स्वर्ग सिधार गये। अब ईश्वर ही शोक संतप्त परिजनों को धैर्य और हिम्मत प्रदान करेंगे।
स्व. राजू के बड़े बहनोई वरिष्ठ पत्रकार आर.एम.पी. मधुर ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी आकस्मिक मौत से उन्हें गहरा आघात पहुंचा है। उन्होंने कहा कि स्व. राजू उनके अत्यंत प्रिय साला तो थे ही लेकिन उनसे उनका नाता इससे भी ज्यादा मजबूत नैतिक स्तर पर था। उन्होंने बताया कि स्व. राजू अपने जीवन के एक योद्धा थे, संघर्ष करते हुए उन्होंने अपने बाल बच्चों का पालन पोषण किया। और जीवन के अन्य शेष मंजिल तक पहुंचते पहुंचते उन्होंने इस संसार को अलविदा कह दिया, जहां इंसान सिर्फ आंसू बहा सकता है। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि स्व. राजू के परिवार में उनके भांजा क्रान्ति कुमार का एक अत्यंत प्यार भरा संबंध था। शहर के लोग और परिवार के सभी सदस्य इस मामा भगना की जोड़ी को आदर्श की दुहाई दिया करते थे लेकिन मौत के बेदर्द हाथों ने स्व. राजू को सबसे दूर कर दिया।

नोटं- प्रसारित समाचार की  जिम्मेवारी प्रेस की नहीं है तथा  विज्ञापनों की  प्रामाणिकता से  प्रेस का कोई सबंध नहीं है – संपादक

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