सवालों के घेरे में- दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक खगड़िया के विरुद्ध मामला माननीय पटना उच्च न्यायालय की चौखट पर… सरफेसी केस 8 निरस्त करने की गुहार पीड़ित अमर कुमार ने लगाई ..
सवालों के घेरे में-दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक खगड़िया के विरुद्ध मामला माननीय पटना उच्च न्यायालय की चौखट पर…
सरफेसी केस 8 निरस्त करने की गुहार अमर कुमार ने लगाई ..
खगड़िया/कोशी एक्सप्रेस/ प्राप्त सूचनानुसार स्टार्टअप इंडिया स्कीम तहत लाभार्थी बिंदु कुमारी को दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक, जयप्रकाश नगर शाखा, खगड़िया द्वारा देव इंटरप्राइजेज के नाम पर वर्ष 2017 में 30 लख रुपए लोन दिए गए। बैंक ने ऋणधारक के पिता जनार्दन भगत से मौजा मथुरापुर तौजी 3717, खाता 238, खेसरा 407 की जमीन एक कट्ठा 15 धूर गिरवी के रूप में रखने के पूर्व पूर्व किसी प्रकार से जांच पड़ताल करने की जरूरत नहीं समझी, जबकि उक्त प्लाट की हिस्सेदारी जनार्दन भगत ने अपने जीवन काल में ही वैधानिक रूप में बंटवारे का कागज अपने तीनों पुत्रों के नाम बना दिया था। पीड़ित ग्रामीण जनार्दन भगत के पुत्र अमर कुमार ने प्रेस को बताया कि वह उक्त प्लाट पर जीवकोपार्जन हेतु आटा चक्की मिल चलाया करता रहा है। प्रामाणिक सूचना है कि जनार्दन भगत ने दिनांक 11. 9.2016 को तीनों पुत्रों राजेंद्र कुमार, सुजीत कुमार एवं अमर कुमार के नाम बटवारा अपनी मृत्यु के पूर्व और बेटी बिंदु कुमारी को ऋण लेने से पूर्व कर दिया था।
मालूम हो कि स्टार्टअप इंडिया स्कीम तहत बेरोजगारों को 1 वर्ष तक ऋण अदायगी की छूट दी जाने की बात सामने आई है लेकिन बैंक का सख्त दबाव 2018 से ही लगातार जारी रखा गया और बिंदु कुमारी को बैंक प्रबंधन ने बरौनी से घसीटते हुए गिरफ्तार कर लगभग 1 साल तक जेल में प्रताड़ित किया गया। दूसरी तरफ बिंदु कुमारी के पिता जनार्दन भगत की मृत्यु दिनांक 17 दिसंबर 2021 को हो गई, बैंक में उक्त जमीन को अपने नाम पर हिस्सेदारी दिखाकर स्वर्गीय जनार्दन भगत ने यदि जालसाजी की थी तो इस षड्यंत्र की सजा उनके बेटे को देना कहां तक उचित है ?
विदित हो कि प्रधानमंत्री की उदघोषणा, वित्त मंत्री के संकल्पों और रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने बार-बार बैंकों को नसीहत दी है कि ऋण धारकों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। बावजूद एक महिला ऋण धारक और षड्यंत्र तहत गिरवी रखी गई जमीन की असली जमीन मालिक की प्रॉपर्टी सरफेसी एक्ट का हवाला देकर दलबल के साथ नीलाम करने का औचित्य क्या है ?
प्रेस एसोसिएशन ऑफ़ बिहार के अध्यक्ष सह वरिष्ठ पत्रकार आरएमपी मधुर ने खगड़िया जयप्रकाश नगर शाखा के शाखा प्रबंधक सुमन कुमार से प्रामाणिक तथ्यों की जानकारी लेने की कोशिश की गई। शाखा प्रबंधक ने स्पष्ट कहा कि सरफेसी एक्ट तहत की कार्रवाई रिजनल कार्यालय बेगूसराय से होती है। उन्होंने सिर्फ विभागीय निर्देश का पालन किया है।
कानून के जानकार लोगों का कहना है कि बैंक प्रॉपर्टी अधिग्रहण के बाद नीलाम वाद की प्रक्रिया शुरू होती है लेकिन कुछ भू माफिया के बहकावे में संबंधित बैंक ने किसी सुभाष चंद्र यादव को जमीन रजिस्ट्री तक करने का आश्वासन दिया है जो गैर कानूनी माना जाएगा।
अब यह संवेदनशील मामला माननीय पटना उच्च न्यायालय की चौखट पर है, देखना है कि न्याय प्रणाली द्वारा एक बेरोजगार गरीब आवेदक भाइयों को न्याय किस रूप में मिलता है।
वहीं शाखा प्रबंधक से पत्रकार मधुर ने पूछा कि इस मामले में नीलामी के दौरान कितने रूपए सुभाष चंद्र यादव से बैंक में जमा किए गए ? तो उन्होंने कुछ भी बताने से इनकार करते हुए कहा कि ऐसी जानकारी इन्हें नहीं है।
नोट: याचिका आवेदक अमर कुमार का आरोप है कि इस मामले में वर्णित फर्जी गारंटी प्लाट को बैंक ने बिना अमीन से मापी कराए मनमाने तरीके से दहशत फैलाते हुए पूरे मकान परिसर को विगत 10 जनवरी 2024 को सील करने और नीलाम करने का दूसाहस करते हुए कानून को चुनौती दी है। उसने कहा कि बाध्य होकर वे न्यायालय की शरण गए हैं।
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