खगड़िया: MP फंड घोटाले की पड़ताल का मामला… दूध की रखवाली बिल्लियों को दी गई… क्यों ?
खगड़िया: MP फंड घोटाले की पड़ताल का मामला… दूध की रखवाली बिल्लियों को दी गई… क्यों ?…
खगड़िया/कोशी एक्सप्रेस/ प्रामाणिक सूचना अनुसार माननीय सांसद महबूब अली कैसर द्वारा वित्तीय वर्ष 2014- 15 से 2020- 21 तक अनेक करोड़ों रुपए की विकास योजनाओं की स्वीकृति दी गई और इन तमाम लगभग 155 योजनाओं में करोड़ों रुपए संबंधित दर्जनों अधिकारियों सहित ठेकेदारों व दलालों द्वारा डकार लिए गए।
भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी से संबंधित एमपी फंड घोटाले की स्थलीय जांच पड़ताल और संबंधित सरकारी व गैर सरकारी लोगों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई हेतु वरिष्ठ पत्रकार आरएमपी मधुर ने द्वारा माननीय पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दर्ज कराने का साहस किया गया, इसके आलोक में माननीय पटना उच्च न्यायालय ने दिनांक 10. 8. 2021 को स्पष्ट आदेश पारित करते हुए आवेदक (पत्रकार मधुर) को निर्देश दिया कि माननीय कोर्ट के निर्देशानुसार डीएम खगड़िया के यहां 4 सप्ताह के अंदर नियमानुसार प्रतिवेदन समर्पित करें और जिलाधिकारी महोदय को भी माननीय कोर्ट ने प्रतिवेदन के आलोक में 3 महीने के अंदर भ्रष्टाचार के मामले को निष्पादित करने की अवधि निर्धारित की गई। पत्रकार मधुर ने दिनांक 9.9 2021 को प्रमाणिक दस्तावेज प्रामाणिक रूप में डीएम खगड़िया के यहां समर्पित किया। लेकिन न्यायालय समाहर्ता स जिला दंडाधिकारी खगड़िया, डीबी नंबर 55 दिनांक 11.2.2021 को होने और पत्रकार मधुर को उपस्थित रहने की सूचना दी गई। और उक्त तिथि को जिलाधिकारी महोदय ने एक माह के अंदर जांच पड़ताल की जिम्मेवारी जिला योजना पदाधिकारी को दी गई।
वरिष्ठ पत्रकार मधुबनी दिनांक 18 फरवरी 2022 को पुनः जिलाधिकारी महोदय को लिखित आवेदन समर्पित करते हुए विरोध व्यक्त किया कि भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी में लिप्त जिला योजना विभाग खगड़िया तथा क्षेत्रीय अभियंत्रण संगठन ( कार्यपालक अभियंता एवं अन्य) को माननीय उच्च न्यायालय में आरोपी के रूप में पीआईएल दर्ज कराया था। आखिर भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार जीरो टोलरेंस की नीति किस रूप में जनता तक पहुंचाना चाहती है ?
विदित हो कि मा. ने पटना उच्च न्यायालय ने पीआईएल आवेदक मधुर को अपने निर्गत आदेश में पूरी स्वतंत्रता का जिक्र किया है, इसके आलोक में उन्होंने कहा कि एमपी फंड घोटाले की निष्पक्ष भौतिक सत्यापन नहीं होने के विरुद्ध पुनः contempt of Court माननीय न्यायालय की अवमानना की याचिका दर्ज कराने की बाध्यता आ हुई है…!
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