डॉ. राजेंद्र प्रसाद जयंती: चित्रगुप्त नगर में शिक्षाविदों–अधिवक्ताओं–समाजसेवियों ने बताया राष्ट्रनिर्माता का योगदान..

डॉ. राजेंद्र प्रसाद जयंती: चित्रगुप्त नगर में शिक्षाविदों–अधिवक्ताओं–समाजसेवियों ने बताया राष्ट्रनिर्माता का योगदान..

खगड़िया/ कौशी एक्सप्रेस/  आज चित्रगुप्त नगर मंदिर परिसर स्थित देश रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद सार्वजनिक पुस्तकालय में भारत के प्रथम राष्ट्रपति, संविधान सभा के महान नेतृत्वकर्ता एवं देश रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद की 141वीं जयंती श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई।
कार्यक्रम की शुरुआत पुष्पांजलि और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। उपस्थित लोगों ने डॉ. प्रसाद के आदर्शों, त्याग, सरलता और राष्ट्र निर्माण में उनके अमूल्य योगदान को याद किया।

वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक नारायण कर्ण ने कहा कि राजेंद्र बाबू के जन्मदिन को पूरे देश में सम्मानपूर्वक मनाया जाता है। अधिवक्ता समाज के लिए यह दिन अधिवक्ता दिवस के रूप में विशेष महत्व रखता है, वहीं बिहार सरकार का शिक्षा विभाग इसे मेधा दिवस के रूप में मनाता है।
राजेंद्र बाबू महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह से लेकर स्वतंत्रता प्राप्ति तक सभी प्रमुख आंदोलनों में सक्रिय रूप से शामिल रहे। उन्होंने अपनी सादगी, ईमानदारी और त्याग की ऐसी मिसाल पेश की, जो आज भी अद्वितीय है।
स्वतंत्र भारत के इतिहास में वे पहले राष्ट्रपति बने और यह सम्मान उन्हें दो बार मिला, जो भारतीय लोकतंत्र का गौरव है।
भारत के संविधान निर्माण में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। आने वाली पीढ़ी को उनके जीवन, संघर्ष और आदर्शों की मिसाल देने की आवश्यकता है, ताकि वे सच्चे राष्ट्रनिर्माण की दिशा को समझ सकें। पुस्तकालय संचालक व अधिवक्ता अजिताभ सिन्हा बताया कि डॉ. प्रसाद ने शिक्षा, कानून और संविधान को जन-जन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज उनकी शिक्षा न केवल प्रासंगिक है, बल्कि नई पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक भी है।

वहीं  वरिष्ठ पत्रकार राजेश सिन्हा ने कहा कि देश रत्न का जीवन सत्य और सेवा का अद्भुत उदाहरण है। पत्रकारिता के क्षेत्र में भी उनकी पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा मूल्यवान आदर्श प्रस्तुत करती है। उनकी जयंती हमें तथ्यपरक और निष्पक्ष समाज बनाने की प्रेरणा देती है।

नवीन कुमार सिन्हा ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद का व्यक्तित्व भारतीय संस्कृति और सभ्यता की आत्मा को दर्शाता है। आज हम सभी को उनके विचारों को आत्मसात कर समाज सुधार में अपना योगदान देना चाहिए।

आनंद सिन्हा एवं अमित सिन्हा ने संयुक्त रूप से बताया कि ने अपने विचार व्यक्त किए डॉ. प्रसाद ने विपरीत परिस्थितियों में भी देश के प्रति निष्ठा और संतुलन बनाए रखा। वे सादगी और देशभक्ति के प्रतीक थे। ऐसी महान विभूति की जयंती मनाना हमारे लिए सौभाग्य है। पुरुषोत्तम कुमार ने कहा बताया कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद का पूरा जीवन युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादाई है। उनके विचार बताते हैं कि राष्ट्र निर्माण सिर्फ पद और सत्ता से नहीं, बल्कि समर्पण और कर्म से होता है। सभी उपस्थित लोगों ने यह संकल्प लिया कि वे डॉ. राजेंद्र प्रसाद के बताए रास्ते—सत्य, सेवा, सरलता और राष्ट्रहित—को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे।  कार्यक्रम में मुकेश कुमार सिन्हा, गोपाल सिन्हा, अमित कुमार सिन्हा, अनिल कुमार सिन्हा, हर्ष सिन्हा, समीर सिन्हा सहित बड़ी संख्या में समाजसेवी, अधिवक्ता, पत्रकार और पुस्तकालय सदस्यों की उपस्थिति रही।

सभी ने देश रत्न के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनके जीवन दर्शन को आत्मसात करने का संकल्प लिया।
अंत में सभी ने पुस्तकालय में चल रही गतिविधियों को और सशक्त बनाने का भी निर्णय लिया।

नोट- प्रसारित समाचार की जिम्मेवारी प्रेस की नहीं है तथा विज्ञापनों की प्रामाणिकता से प्रेस का कोई सबंध नहीं है – संपादक
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